तुम पुकारो

 


तुम पुकारो तो जलद से अमृत की बौछार हो,

तुम पुकारो तो शशि से रजत की बरसात हो ।

तुम पुकारो तो गगन में रश्मियाँ सी जल उठें ,

तुम पुकारो तो धरा पर पुष्प सारे खिल उठे ।

तुम पुकारो तो अनल भी ताप अपना छोड़ दे ,

तुम पुकारो तो हृदय भी अब तड़पना छोड़ दे ।

तुम पुकारो तो जलधि की तरंगे शांत हों ,

तुम पुकारो तो विरह की वेदना अब शांत हो ।

कवि - राजू रंजन

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